हर दिन स्नान करना चाहिए। ठंडे पानी से स्नान करना अधिक लाभप्रद होता है। यथासंभव उष्ण व ठंडा पानी दोनों को मिलाकर शरीर के ताप मान के समान उष्ण पानी से स्नान करना चाहिए।

क्या आप हर दिन स्नान करते हैं? ठंडे पानी से या गर्म पानी से?
हर दिन स्नान करना चाहिए। ठंडे पानी से स्नान करना अधिक लाभप्रद होता है। यथासंभव उष्ण व ठंडा पानी दोनों को मिलाकर शरीर के ताप मान के समान उष्ण पानी से स्नान करना चाहिए।
क्या आप घर में हर एक को या सिखाते हो कि कैसे स्नान करना चाहिए? क्या यह भी समझाते हो की स्नान के समय क्या कुछ स्मरण करना है?
हर कर्म का एक क्रम होता है। स्नान से शरीर के सभी अंगों को शुद्ध कर लेना चाहिए। बैठ कर स्नान करना वांछनीय है। मत्स्य पुराण में बताया गया है कि नदी स्नान करते समय महासंकल्प का उच्चार करना चाहिए। लेकिन सामान्य दिनों में स्नान करते समय,
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जले आस्मिन सन्निधि कुरू।।
हे गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी आदि सभी नदियों! आप सभी इस जल में समाहित हो जाइए – इस अर्थ का उपरोक्त श्लोक दोहरा कर स्नान करना चाहिए। साथ ही पैरों के तलवे, कांख इत्यादि भली-भांति रगड़ के धोने चाहिए। यह परिवार में सभी को समझाना चाहिए।
स्नान के पश्चात क्या गीले कपड़े वहीं छोड़ आते हैं? या उनके लिए कोई अलग व्यवस्था है?
गीले कपड़े स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। अतः यथासंभव उसी समय उसी स्थान पर उन्हें धो डालना वांछनीय है। यदि संभव नहीं है तो उन्हें धोने के स्थान पर अथवा निर्धारित पात्र में डाल कर रखना चाहिए। फिर भी गीले कपड़ों को वैसे ही लंबे समय तक नहीं रखना है। तत्काल धोकर सुखाना चाहिए यदि वैसा नहीं करते हो तो कपड़ों को हानि होती है स्वास्थ्य भी बिगड़ता है।
क्या आपको विदित है कि स्नान करना यह हमारे देश की विशेषता है?
विश्व के अन्य देशों की तुलना में केवल भारत में ही स्नान की संकल्पना आरंभ हुई और यह बात आजकल की नहीं हजारों वर्ष पहले से विश्व की अति प्राचीन सभ्यताओं के भी पूर्व से यह पद्धति प्रचलन में आई है। सामाजिक धार्मिक कार्यक्रमों के पहले मंगल स्नान करना यह भारत की ही विशेषता है। यह श्रद्धा भी भारत में ही है की नदियां पवित्र है, तीर्थ क्षेत्र हैं और उनमें स्नान कर पवित्र होना चाहिए।