आज ही कश्मीर, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, पूर्वोत्तर के राज्यों की जनसांख्यिकी में बदलाव आ चुका है। कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। और इसका असर, सरकार के निर्णयों, समाज के व्यवहार और देश विरोधी घटनाओं से देखा जा सकता है।

फिल्म केरल डायरी आने के बाद से देश में इसाई मिशनरी और इस्लामिक जेहादियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत बड़े पैमाने पर कराए जा रहे धर्म परिवर्तन की भयावहता पर आम जनमानस की नजर पड़ी है। ऐसी लड़कियां खुलकर सामने आ रही है, जिनका धोखे से धर्म परिवर्तन कराया गया था। रोते हुए वह बता रही हैं कि उन्हें भी कमोबेश इसी तरह से फांसा गया था। भले ही वह आइएसआइएस में भर्ती होने सीरिया तक नहीं गईं, लेकिन यहां भी उनकी जिदंगी किसी जहन्नूम से कम नहीं है।
वैसे, इसके पहले तक इश्क, मोहब्बत का नाम देकर और इसे नितांत निजी मामला मानकर समाज, पीड़ित परिवार और बेटियों को उनके भरोसे ही छोड़ देता आ रहा था, लेकिन पहली बार देश के आम लोगों ने जाना कि यह षड्यंत्र कितना गहरा और भयानक है। इसे आज नहीं समझा गया तो यह आग उनके घरों तक भी पहुंचेगी और जो मुगल नहीं कर पाए, वह भविष्य में संभव हो सकता है।
आज ही कश्मीर, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, पूर्वोत्तर के राज्यों की जनसांख्यिकी में बदलाव आ चुका है। कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। और इसका असर, सरकार के निर्णयों, समाज के व्यवहार और देश विरोधी घटनाओं से देखा जा सकता है।
हालांकि, बात एक फिल्म से निकली है। यह कितने दिनों तक भारतीय जनमानस को याद रहता है। वह आगे कितना संवेदनशील होती है। यह देखने वाली बात है। जबकि बात इससे आगे कि यह जागने और पीढ़ी दर पीढ़ी जगाने का वक्त है।
देश में धर्मांतरण कोई नई बात नहीं है। मुगलों के आने के साथ से तलवारों की दम पर यह खूब हुआ। आज जो पीढ़ियां हमारे आस-पास दिखती हैं। ये उसी धर्मांतरण की उपज है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत कहते हैं ''हमारा डीएनए एक है और हम सभी हिंदू हैं।''
इस तथ्य को गहराई से समझने और स्वीकार करने की जगह देश के मुस्लिम समाज का बड़ा वर्ग मध्य पूर्व देशों की ओर मुंह किए रहता है और वहां से अपनी पहचान जोड़ने की कोशिश करता है। देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ तथा दावा किया जाता है कि जो मुस्लिम यहां रह गए, उन्होंने भारत की भूमि को अपनी मातृभूमि माना है, लेकिन मुस्लिम समाज के अधिकतर व्यवहार में यह कम ही दिखता है।
बल्कि, मध्य पूर्व का मोह इन्हें देश के विरुद्ध भी ले जाकर खड़ा कर देता है। आजादी के बाद भी देश में षड्यंत्रपूर्वक विभिन्न राज्यों में धर्मांतरण उसी से जुड़ा है। केरल डायरी तो एक पहलू है। वास्तविक स्थिति इससे कहीं भयावह है। वर्ष 2047 तक गजवा हिंद का सपना इसी से निकलता है। जिसमें देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य है।
यह सिक्के का एक पहलू है। दूसरा, मामला बडे पैमाने पर इसाई मिशनरियों द्वारा प्रलोभन, इलाज में लाभ और शिक्षा के बल पर देश के विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर कराया जा रहा धर्मांतरण है, जिसमें भोलेभाले वनवासी को इसाई बनाकर उन्हें देश के विरूद्ध खड़ा किया जा रहा है। जबकि पंजाब में इसका भयावह रूप देखने को मिल रहा है। जहां वे निहंग भी बेबस दिखाई दे रहे हैं। जिन्होंने किसान आंदोलन में मोर्चा संभाला था। इसलिए इस देशविरोधी षड्यंत्र पर समय रहते सचेत होने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण को देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है। इसलिए अब राज्यों से आगे निकलकर केंद्र को इसे लेकर सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। साथ ही समाज को सतर्क रहने की भी, ताकि फिर आगे कोई धर्मांतरण न हो।