हिन्दू धर्म भारत राष्ट्र की प्रेरणा है – सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि महाराष्ट्र के मराठा तमिलनाडु में बाहरी नहीं हुए क्योंकि उन्होंने स्थानीय समाज को समृद्ध किया। हमारी एकता का यह सूत्र धर्म से आता है। सत्य से उपजने वाला हिन्दू धर्म भारत राष्ट्र की प्रेरणा है। वही हमारी जीवनशक्ति है।

पुणे, 09 सितम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि महाराष्ट्र के मराठा तमिलनाडु में बाहरी नहीं हुए क्योंकि उन्होंने स्थानीय समाज को समृद्ध किया। हमारी एकता का यह सूत्र धर्म से आता है। सत्य से उपजने वाला हिन्दू धर्म भारत राष्ट्र की प्रेरणा है। वही हमारी जीवनशक्ति है।

सरसंघचालक जी पुणे में एक पुस्तक विमोचन समारोह में संबोधित कर रहे थे। कोथरूड स्थित बालशिक्षण मंदिर में ‘तंजावरचे मराठे’ पुस्तक का विमोचन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बाबाजी राजे भोसले छत्रपति ने की। महारानी गायत्री राजे भोसले, विधायक शिवेंद्रराजे भोसले, हिन्दुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष रमेश पतंगे, श्री शिवाजी रायगड स्मारक मंडल के कार्यवाह सुधीर थोरात उपस्थित रहे।

सरसंघचालक जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र का उदय जीवन की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि वसुधैव कुटुंबकम का शाश्वत धर्म विश्व को देने के लिए हुआ है। “सतयुग से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक धर्म ही हमारी शाश्वत प्रेरणा रही है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ने इसे स्पष्ट रूप से हिन्दू प्रेरणा कहा था। हिन्दू का अर्थ मुस्लिम विरोध नहीं, बल्कि वह स्वभाव का वर्णन है। सभी विविधताओं का स्वीकार करने वाला यह उदात्त विशेषण है”।

शिवाजी महाराज की प्रेरणा

डॉ। भागवत ने कहा कि इस्लामी आक्रमण का स्वरूप न समझ पाने के कारण कई गौरवशाली संघर्ष असफल हुए। इस पर शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज का उपाय काम आया। इसी से प्रेरणा लेकर पूरे भारत में दुर्गादास राठौड़, छत्रसाल जैसे अन्य ने संघर्ष किया। यहां तक कि अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष में भी शिवाजी महाराज की ही प्रेरणा थी।

लेखक डॉ. मिलिंद दत्तात्रेय पराडकर ने कहा कि भौगोलिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक संदर्भ में तंजावुर का अधिक अध्ययन होना चाहिए। साप्ताहिक विवेक की संपादक अश्विनी मयेकर ने प्रस्तावना रखी। इस अवसर पर हिंदवी राष्ट्रीय प्रेरणा नामक ग्रंथ प्रकल्प का उद्घाटन किया गया।

तंजावुर महाराष्ट्र का गौरवशाली इतिहास

बाबाजी राजे भोसले ने कहा कि तंजावुर में मराठों का इतिहास किसी एक घराने का इतिहास नहीं है। “तंजावुर में केवल भोसले ही नहीं, बल्कि डोंगरे, केसरकर, कुलकर्णी, महाडिक, गाडे आदि नाम वाले परिवार हैं, जिनका मूल महाराष्ट्र में है। यह केवल किसी एक घराने का इतिहास नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के गौरवशाली विरासत का इतिहास है”।

 

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