नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जूडी कुछ दिलचस्प जानकारियां

IVSK

देश की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ का नारा देने वाले, भारत भूमि से अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना करने वाले तथा आजाद हिन्द सरकार के प्रधानमंत्री हमारे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 23 जनवरी को जयंती है। भारत माँ के इस महान वीर सपूत को शत-शत नमन।

देश की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ का नारा देने वाले, भारत भूमि से अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना करने वाले तथा आजाद हिन्द सरकार के प्रधानमंत्री हमारे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 23 जनवरी को जयंती है। भारत माँ के इस महान वीर सपूत को शत-शत नमन।

आइए जानते है नेताजी से जुडी कुछ दिलचस्प जानकारियां  

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कुल 14 भाई-बहन थे। जिनमें 8 भाई और 6 बहने थी। सुभाष चन्द्र अपने माता-पिता के नौवीं संतान थे।

नेताजी बोस स्वामी विवेकानंद जी से बहुत प्रभावित थे। जब वह मात्र 15 वर्ष के थे, तभी उन्होंने विवेकानंद जी के साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। उनका कहना था की 'यदि स्वामीजी जीवित होते तो वे मेरे गुरु होते। जब तक मैं जीवित हूं, मैं श्रीरामकृष्ण और विवेकानंद के प्रति पूरी तरह से वफादार रहूंगा। स्वामीजी ने अपने कार्यों और भाषणों के माध्यम से छात्रों को बहुत प्रभावित किया।‘ सुभाष चन्द्र बोस की भारत के दर्शनशास्त्र में भी गहरी रुचि थी, उन्होंने इसी विषय से स्नातक किया। उनकी यह रूचि समय समय पर उनके पत्रों या भाषणों में जाने अनजाने आ ही जाता था।

टिहरी गढ़वाल जिले के मुनिकीरेती स्थित श्रीदर्शन महाविद्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस चार महीने तक अज्ञातवास में रहे थे। उन्होंने ब्रिटिश फौज से बचने के लिए आश्रम में शरण ली थी। यहां उन्होंने बंगाली साधकों के साथ दर्शन महाविद्यालय में योग और संस्कृति का अध्ययन किया था।

सन 1922 में सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु चितरंजन दास ने स्वराज पार्टी की स्थापना की। अंग्रेज सरकार का विरोध करने के लिए, कोलकाता महापालिका का चुनाव स्वराज पार्टी ने जीता। चितरंजन दास को कोलकाता का महापौर नियुक्त किया गया। दास बाबू ने महापालिका का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी, सुभाष चन्द्र बोस को बनाया।

नेताजी ने अपने कार्यकाल में कोलकाता में सभी अंग्रेजी रास्तों के नाम बदलकर, उन्हें भारतीय नाम दिए थे। स्वतंत्रता संग्राम में प्राण निछावर करने वालों के परिजनों को महापालिका में नौकरी भी मिलने लगी थी।

अंग्रेजों के सख्त निगरानी के बाद भी सुभाष चंद्र बोस बीमा बेचने वाले मुस्लिम जियाउद्दीन बन कर भागने में सफल रहे।

पेशावर में सुभाष चंद्र बोस को ताज होटल में ठहराया गया वहां से फिर एक साथी आबाद ख़ाँ के घर पर शिफ़्ट कर दिया गया। वहाँ पर अगले कुछ दिनों में सुभाष बोस ने ज़ियाउद्दीन का भेष त्याग कर एक बहरे पठान का वेष धारण कर लिया। ये इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि सुभाष स्थानीय पश्तो भाषा बोलना नहीं जानते थे।'

यूरोप में नेताजी को, एक यूरोपीय प्रकाशक ने ‘द इंडियन स्ट्रगल’ किताब लिखने का काम सौंपा। इसके लिए, सुभाष चन्द्र ने 23 साल की एमिली शेंकल को टाइपिंग के लिए रख लिया। एमिली ने बोस के साथ काम करना शुरू कर दिया। दोनो काम के दौरान एक दूसरे को पसंद करने लगे और 37 साल के सुभाष चंद्र बोस की 23 साल की एमिली से हिन्दू रीति रिवाज से शादी हो गई, दोनो ने एक बेटी अनिता बोस को जन्म दिया जो बाद में जर्मनी की सबसे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री बनी।

27 जनवरी 1941 को सुभाष के गायब होने की ख़बर सबसे पहले आनंद बाज़ार पत्रिका (ABP) और हिंदुस्तान हेरल्ड में छपी। इसके बाद उसे रॉयटर्स ने उठाया। जहाँ से ये ख़बर पूरी दुनिया में फैल गई। ये सुनकर ब्रिटिश खुफ़िया अधिकारी न सिर्फ़ आश्चर्यचकित रह गए बल्कि शर्मिंदा भी हुए।

जब महात्मा गाँधी ने सुभाष के गायब हो जाने के बारे में टेलिग्राम किया तो उनके बड़े भाई सरत चन्द्र बोस ने तीन शब्द का झूठा जवाब दे दिया, 'सरकमस्टान्सेज़ इंडीकेट रिनुनसिएशन' (हालात संन्यास की तरफ़ इशारा कर रहे हैं) लेकिन वो रविंद्रनाथ टैगोर से इस बारे में झूठ नहीं बोल पाए। जब टैगोर का तार उनके पास आया तो उन्होंने जवाब दिया, 'सुभाष जहाँ कहीँ भी हों, उन्हें आपका आशीर्वाद मिलता रहे।'

 

Related Posts you may like

इंद्रप्रस्थ संवाद - नवीन अंक

लोकप्रिय